गंगू जुम्मनी तहज़ीब

गंगू जुम्मनी तहज़ीब



 नीतिनियंता अपने दैनिक सरकारी भ्रमण पर थे कि उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बैल को जोर जोर से पीट रहा था. नीतिनियंता तुरंत से क्रोधित हुए कि उनके रहते कोई अन्य कैसे किसी को पीट सकता है, क्रोध और आवेश से उनकी भुजाएं फड़कने लगीं. उन्हीं फड़कती भुजाओं की रौ में उन्होंने पेटा के विज्ञापन का स्मरण करते हुए उस बैल को अभयदान दिया और उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और बोले, "रे अधम! तू कौन है, अपना परिचय दे और बता कि पहले से लगभग मृतप्राय इस बैल को तू क्यों मार रहा है?"

 व्यक्ति ने देश के नीतिनियंता से कहा, "हे महाबाहो! ये जो बैल है ये इस देश की सनातनी परंपरा है और मैं गंगू जुम्मनी तहज़ीब हूँ. सनातनी परंपरा का समय अब पूर्णतः समाप्त हुआ इसलिए मैं इसको पीट पीट कर खत्म कर रहा था जिससे मुझे आपके राज्य में पूर्ण प्रभुत्व मिले. पर चूंकि आपने इस बैल को अभयदान दे दिया है (हालांकि इसकी मृतप्राय अवस्था देखते हुए समय समय पर इस बैल के लिए चारे आदि की व्यवस्था भी अब आपको ही करनी पड़ेगी) इसलिए हे प्रभु! मेरी विनती है कि आप मुझे आपके राज्य में निवास करने का आधिकारिक स्थान दें."

  गंगू जुम्मनी तहज़ीब का करुण क्रंदन सुन नीतिनियंता का ह्रदय  द्रवित हुआ और वो बोले, "हम तुम्हें तुम्हारे छद्मवेश के कारण पहचान नहीं पाए पर हे गंगू जुम्मनी तहज़ीब! हमने तुमको व्यवस्था में, अपनी पार्टी के आचरण में, प्रशासन आदि हर जगह स्थान दे रखा है. तुम्हारे लिए हमने एक पूरा देश तक बनवा डाला, अब इससे अधिक तुम्हें क्या चाहिए?"

  "किंतु ये स्थान तो तात्कालिक हैं महाबाहो! पार्टी बदलते ही सारी व्यवस्था बदल जायेगी फिर मैं कहाँ निवास करूंगा? मुझे एक सुदृण स्थान चाहिए जहां से कोई भी मुझे हटा न सके."

  "ठीक है, हम तुम्हें देश के संविधान में स्थान देते हैं." नीतिनियंता उचटी सी एक दृष्टि अपने वोटबैंक की तरफ डालते हुए बोले..

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