Posts

Showing posts from November, 2023

सनातन और पटाखे

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।   ये संस्कृत भाषा में लिखा गया एक श्लोक मात्र नहीं है बल्कि ये सनातन का मूल मंत्र है। हिंदू धर्म के हर अनुष्ठान, पूजा– पाठ में इस मंत्र का पाठ सदैव ही होता आया है। हिंदू धर्म में हम लोगों को बचपन से ही ये बात घुट्टी की तरह पिला दी जाती है कि इस श्लोक में सर्वे भवन्तु सुखिनः के सर्वे शब्द का तात्पर्य समस्त जीवधारियों के लिए है। वो जीवधारी पशु हो, कीट~पतंगा हो या पेड़ पौधा ही क्यों न हो। वो जीवधारी किसी जाति विशेष से हो या न हो, किसी धर्म विशेष से हो या न हो, हमारे साथ हो या हमसे अलग हो, हम जैसा हो या रंग~रूप में हमसे भिन्न ही हो, हमारे पास का हो या पृथ्वी के दूसरे छोर से ही क्यों न हो; इस श्लोक का पाठ सबके स्वास्थ्य की कामना से, सबके सुखी रहने की कामना से किया जाता है।   मुझे याद है कि जब बचपन में मेरे लिए पटाखे लाए जाते थे तो पटाखों पर लिखी सुरक्षा चेतावनी के अतरिक्त एक बात मुझे घर पर भी समझाई जाती थी, कि पटाखे कम चलाने हैं। क्योंकि ये न सिर्फ पैसे की बर्बादी है बल्कि इससे वातावरण में जो अलग अ