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गंगू जुम्मनी तहज़ीब

गंगू जुम्मनी तहज़ीब  नीतिनियंता अपने दैनिक सरकारी भ्रमण पर थे कि उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बैल को जोर जोर से पीट रहा था. नीतिनियंता तुरंत से क्रोधित हुए कि उनके रहते कोई अन्य कैसे किसी को पीट सकता है, क्रोध और आवेश से उनकी भुजाएं फड़कने लगीं. उन्हीं फड़कती भुजाओं की रौ में उन्होंने पेटा के विज्ञापन का स्मरण करते हुए उस बैल को अभयदान दिया और उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और बोले, "रे अधम! तू कौन है, अपना परिचय दे और बता कि पहले से लगभग मृतप्राय इस बैल को तू क्यों मार रहा है?"  व्यक्ति ने देश के नीतिनियंता से कहा, "हे महाबाहो! ये जो बैल है ये इस देश की सनातनी परंपरा है और मैं गंगू जुम्मनी तहज़ीब हूँ. सनातनी परंपरा का समय अब पूर्णतः समाप्त हुआ इसलिए मैं इसको पीट पीट कर खत्म कर रहा था जिससे मुझे आपके राज्य में पूर्ण प्रभुत्व मिले. पर चूंकि आपने इस बैल को अभयदान दे दिया है (हालांकि इसकी मृतप्राय अवस्था देखते हुए समय समय पर इस बैल के लिए चारे आदि की व्यवस्था भी अब आपको ही करनी पड़ेगी) इसलिए हे प्रभु! मेरी विनती है कि आप मुझे आपके राज्य में निवास करने का आधिकारिक स्थान दें