वुमन डे!

वुमन डे..


  सुबह से सब कुछ सही सा चल रहा था. मॉर्निंग टी पलंग के सिरहाने आ चुकी थी, बच्चों को नहला~धुला कर तैयार किया जा चुका था, एतवार का दिन था तो श्रीमती जी नाश्ते के लिए ब्रेडरोल की तैयारी में थीं, फिर दोपहर को इडली~सांभर भी बनने थे. पलंग पर 'बैठे~बैठे क्या करें करना है कुछ काम' की तर्ज पर खबर वगैरह जानने के लिए टीवी खोला तो पता चला कि आज 'वुमन डे' है. तुरंत से मैडम को आवाज लगा कर 'हैप्पी वुमन डे' बोल कर बात ख़त्म करनी चाही कि किचन के अंदर से आवाज आई कि,"वो सब तो ठीक है, पर आज घर पर हो तो जरा टिंकू को उसका होमवर्क ही करवा दो." हमने शायद बैठे ठाले ही मुसीबत मोल ले ली थी, पर घरवाली का आदेश टाला भी नहीं जा सकता सोचकर टिंकू के स्टडी रूम की तरफ कदम बढ़ाये पर कमरे के हालात देखकर पैर कमरे के दरवाजे पर ही रोक लिए. अंदर का माहौल किसी जंग के बाद छाई शांति जैसा था. कमरे को तुरंत से किसी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम की सख्त जरुरत थी. तुरंत से टिंकू दो~चार डाँट की घुट्टी पिला कर हम घरवाली को कमरे की सफाई के बाद ही कमरे में जाने की अखंड प्रतिज्ञा करके फिर से टीवी पर चल रहे राजनैतिक विश्लेषण की गहराई में डूबने लगे.

  मैडम ने कब कमरा साफ़ किया, कब टिंकू को उसका होमवर्क पूरा करा कर कब सांभर को गैस पर पकने चढ़ा दिया, पता ही नहीं चला. वैसे भी बात जब टीवी पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम में भारत पर आने वाले पाकिस्तान और चीन के संयुक्त न्यूक्लिअर हमले की हो तो हमें कुछ सुझाई भी नहीं देता. उस पर ये निगोड़ी सरकार भी हद है. हम अगर प्रधानमंत्री होते तो अभी के अभी सेना को बॉर्डर पर कूच करने का आदेश दे देते. फिर वो धूम~धड़ाम, मैदान में टैंक से चलते गोला~बारूद, चारों तरफ बिखरा धुऑं और धूल. पर धुंए से आती खट्टी~खट्टी महक ने जैसे हमारी आँखें खोली तो देखा कि श्रीमती जी प्लेट में इडली~सांभर लिए सामने खड़ी हैं. टैंक के गोलों का धुऑं और सांभर की खट्टी महक जब एकाकार हुई तो सरकार पर आता सारा गुस्सा काफ़ूर हो गया. सोचा पहले इडली~सांभर से निपट लें, फॉरेन पॉलिसी तो किसी न किसी चैनल पर फिर कभी डिस्कस हो जायेगी.
  खैर ! टीवी पर फिर से वुमन डे के अलर्ट आते देख कर हमने फिर से 'हैप्पी वुमन डे' का जुमला श्रीमती जी की तरफ उछाला. मैडम की नज़र दीवार पर टंगी पेंटिंग से घूमते हुए शोकेस में रखे हैंडीक्राफ्ट के कुछ सामान, जो शायद उन्होंने कभी अपनी हॉबी के तहत बड़े ही चाव से बनाए होंगे, पर जा कर रुकी. एक ठंडी सांस के साथ थैंक्स हमारी तरफ बढ़ा. हमें अपने चारों ओर बर्फ सी जमती महसूस हुई. ऐसा लगा कि हमारा सारा वजूद उस बर्फ के मुलायम फाहों में धंसता सा जा रहा है.
  सांस आनी रुक न जाए इसलिए हमने माहौल गर्म करने के लिए वुमन डे पर शाम का खाना बाहर किसी होटल में खाने का प्रस्ताव रख दिया. श्रीमती जी फटाफट घर का सारा बचा काम निपटा कर टिंकू को तैयार कर खुद भी तैयार हो गईं.

  शाम काफी अच्छी बीती. इवनिंग शो के बाद रेस्टॉरेंट में खाना, फिर टिंकू की मनपसंद आइस~क्रीम और उसके बाद एक लॉन्ग ड्राइव. कुल मिला कर 'वुमन डे' की शाम एकदम परफैक्ट रही. लौटते लौटते रात के ग्यारह बज चुके थे.
  घर वापस लौटते ही हम पस्त होकर सीधे बिस्तर पर ही जाकर टिके. थकान काफी हो रही थी सो उस टिकने के दौरान आए नींद के झोंके में ही रसोई में से कुछ आवाज़ आती सुनाई दी. श्रीमती जी को आवाज लगाने पर उन्होंने बताया कि कल टिंकू को स्कूल और उन्हें ऑफिस जल्दी जाना है, इसलिए वो कल की तैयारी करके ही सोयेंगी.
  आगे वो कुछ और भी कह रही थीं पर आँखों में भरी नींद की वजह से हमें इसके आगे कुछ सुनाई नहीं दिया,
शायद वुमन डे सेलेब्रेशन की थकान का असर था..

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