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सब कुछ 'ख़ुफ़िया' है.

 अपने ब्लॉग पर पहली फिल्म समीक्षा लेकर हाजिर हैं. कुछ भी कहने से पहले हम ये भी बता दें कि हम विशाल भारद्वाज की फिल्मों के बहुत बड़े वाले पंखे, कूलर, ac सब कुछ हैं. डिस्क्लेमर इसलिए टांग दिए कि कल को कोई ये ना कह दे कि, ‘अब तुम विशाल भारद्वाज को बताओगे कि फिल्में कैसे बनानी चाहिए!’ 😡  तो कुल मिलाकर किस्सा कुछ ऐसा है... इक रहिन ईर इक रहिन बीर इक रहिन फत्ते इक रहिन विशाल भारद्वाज ईर बोले चलो फिल्म बनाई बीर बोले चलो फिल्म बनाई फत्ते बोले चलो फिल्म बनाई विशाल बोले चलो हमहुँ फिल्म बनाई ईर बनाए धाॅंसू पिक्चर बीर बनाए जबर पिक्चर फत्ते बनाए रापचिक पिक्चर विशाल बनाए 'ख़ुफ़िया' 🤭   क्या हुआ, क्यों हुआ, कब हो गया, जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है इन सब बातों के लिए भगवान कृष्ण ने गीता में पहले ही कह रखा है कि हे दर्शक! तू बस फिल्म देखने हेतु हो जा. फिल्म में जो हो रहा है तू उसकी चिंता मत कर. तू बस ये देख कि अपने सब्सक्रिप्शन का पैसा कैसे वसूल हो. इस फिल्म के साथ जो हुआ है ये पहले भी होता रहा है, आगे भी होगा क्योंकि मेरे जीवन साथी, प्यार किए जा, जवानी दीवानी, खूबसूरत, जिद्दी, पड़ोसन,...