भाजपा थ्री नॉट थ्री
भाजपा थ्री नॉट थ्री एक अदद जीत की तलाश में हार के रेगिस्तान में भटकते प्यासे को जब पानी के तीन घूंट पीने को मिले तो वो उसे अमृत तुल्य प्रतीत हुए. उस अमृत को पीकर जी उठी कांग्रेस को जीत के पानी का भ्रम दिखाती मृग मरीचिका दिखाई दी तो वो उस भ्रम के जाल में इतना गहरे तक फंस चुके थे कि सामने से आते मोदी नाम के तूफ़ान को रोकने को अपने छिन्न भिन्न विचारों जैसे छेद वाले जाल से रोकने की बाजीगरी में व्यस्त हो गए. नतीजा स्पष्ट था, आठ राज्यों में शून्य के साथ खड़ी कांग्रेस के पांव के नीचे इतनी जमीन भी नहीं बची थी कि जहां खड़े होकर वो दो घड़ी ठहर कर रेगिस्तान से बाहर आने की संभावना का विचार भी कर पाए. अगर 2014 का जनादेश कांग्रेस की तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार की जंग लगी भंगुरता पर दक्षिणपंथी वैचारिक सुदृढ़ता की अनायास ही लगी चोट मानें तो 19 का जनादेश उस चोट के बाद पुनः जंग खाई कांग्रेस के भरभरा कर गिरने की कहानी है और ये कहानी सन् 2014 से पहले की किसी दोपहर में प्रेस क्लब में राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सरकार के ऑर्डिनेंस के कागजों को नाटकीय अंदाज में फाड़ने के साथ शुरू होती है. राहु...